Banefits of Figs or Anjeer in Hindi : दोस्तों ! अंजीर से तो आप अच्छी तरह परिचित होंगे, यह बहुत ही स्वादिष्ट और मीठा फल है। आप यह भी जानते होंगे कि अंजीर मीठा होने के साथ-साथ बहुत गुणकारी भी होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि वे कौनसे गुण हैं जिनके लिए हमें अंजीर खाने चाहिए ? अथवा अंजीर खाने के लाभ व उपयोग क्या-क्या हैं ? आज की इस पोस्ट में हम आपको अंजीर के ऐसे 10 प्रमुख गुणों और रोगों के उपचार में अंजीर की उपयोगिता व विधि बताने जा रहे हैं-
अंजीर का परिचय – अंजीर (Fig) दो प्रकार का होता है। 1. एक बोया हुआ, जिसके फल और पत्ते बड़े होते हैं। और 2. दूसरा जंगली जिसके फल और पत्ते तुलना में छोटे होते हैं। यह वृक्ष लगभग 9 फुट तक ऊँचा होता है। इसके पत्ते ऊपर की ओर से अधिक खुरदरे होते हैं। इस वृक्ष के किसी भी अंग को चीरने या तोड़ने से दूध निकलता है। अंजीर का कच्चा फल हरा तथा पका हुआ फल पीला या बैंगनी और अंदर से लाल होता है। यह फल बहुत ही मीठा और स्वादिष्ट होता है। अंजीर की जड़ पौष्टिक है तथा सफेद दाग (White leprosy) और दाद (Ringworm) पर बहुत उपयोगी है। इसका फल मीठा, ज्वर नाशक, रेचक (Laxative), विषनाशक, सूजन में लाभदायक, अश्मरी (Carcass) को दूर करने वाला, और कमजोरी, लकवा (Paralysis), प्यास, यकृत (Hepatic) तथा तिल्ली की बीमारी (Spleen’s disease) और सीने के दर्द को दूर करता है। कच्चा अंजीर कांतिकारी और सूखा अंजीर शीतोत्पादक है। इससे पतला खून उत्पन्न होता है। यह पसीना लाने वाला और गर्मी को शांत करने वाला होता है। अंजीर बादाम और पिस्ते के साथ खाने से बुद्धिवर्धक, अखरोट के साथ खाने से उत्तेजक तथा बादाम के साथ खाने से विष को दूर करने का काम करता है।
अंजीर पुरानी खांसी में लाभ देता है। Diet के रूप में अंजीर बहुत जल्दी पच जाने वाला और औषधि के रूप में उपयोग करने पर किडनी (Kidney) और वस्तिसम्बन्धी पथरियों (Stomachic Stones) को तथा यकृत (Hepatic) और प्लीहा (Spleen) के रोगों को दूर करने वाला है। गठिया (Arthritis) और बवासीर (Piles) में भी यह बहुत लाभकारी है।
अंजीर के विविध रोगों में उपयोग (Benefits of Figs or Anjeer) –
1. श्वास रोगों में हितकारी (Treats Asthma) –
अंजीर का सेवन श्वास के रोगों में हितकारी होता है। श्वास के लिए इसका सम्पूर्ण लाभ लेने के लिए अंजीर और गोरख इमली का चूर्ण समान भाग लेकर प्रातः काल 6 माशे की खुराक में लेना चाहिए। इसे खाने से दमे के रोग में लाभ मिलता है।
2. वजन घटाने में सहायक (Promotes Weight loss) –
अंजीर में मौजूद Fiber वजन घटाने सहायक होता है। हालांकि यह High Calorie Fruit है इसलिए अधिक मात्रा में, विशेषकर दूध के साथ खाने से वजन बढ़ भी सकता है। इसलिए इसे कुछ ही मात्रा में खाएं।
3. ह्रदय रोगों में लाभ (Prevents Heart Diseases) –
सूखे अंजीर में फिनोल, ओमेगा -3 और ओमेगा -6 शामिल हैं। ये फैटी एसिड हृदय रोग के जोखिम को कम करते हैं।
4. खून जमाव को नियंत्रित करता है (Regulates Blood coagulation)-
अंजीर रक्त के जमाव में भी हितकारी होता है। अंजीर का फल ही नहीं इसकी लकड़ी भी लाभकारी होती है। रक्त जमाव के उपचार के लिए अंजीर की लकड़ी की राख को पानी के अंदर घोल लें। जब राख की गाद बर्तन में नीचे बैठ जाए तो उसका निथरा हुआ पानी निकालकर उसमें फिर वही राख घोल देना चाहिए, ऐसा सात बार करके राख घोल-घोलकर निथरा हुआ पानी निकालकर रोगी को पिलाने से खून का जमाव बिखर जाता है।
5. सफेद दाग में लाभदायक (Treats White leprosy) –
अंजीर के पत्ते सफेद दाग में लाभदायक होते हैं। सफेद दाग जिसे सफेद कुष्ठ या सफेद कोढ़ के नाम भी जाना जाता है, होने के आरम्भ में ही अंजीर के पत्तों का रस लगाने से उसका बढ़ना बंद होकर आराम होने लगता है।
6. बवासीर दूर करता है (Treats Piles) –
अंजीर खूनी बवासीर में बहुत लाभकारी है। दो सूखे अंजीर को शाम को पानी में भिगोकर सुबह खाना चाहिए। इसी तरह सुबह भिगोये हुए अंजीर शाम को खा लेना चाहिए। इस तरह 6-7 दिनों तक खाने से खूनी बवासीर में बहुत आराम मिलता है।
7. गाँठ और फोड़े में हितकारी (Treats Knots and Boils) –
सूखे या हरे अंजीर को पीसकर तथा पानी में औटाकर गुनगुना लेप करने से गाँठों तथा फोड़ों की सूजन कम हो जाती है तथा आराम मिलता है। भूने हुए अंजीर का पुल्टिस सांघातिक फोड़े, बालतोड़ तथा मसूड़े के ऊपर के फोड़े पर बाँधने से आराम मिलता है। सूखे हुए अंजीर का पुल्टिस दूध के साथ में पीबदार जख्म और नासूर (Canker) की दुर्गन्ध को दूर करने के काम में लिया जाता है।
8. पौरुष शक्ति बढ़ाता है (Masculine Energizer)-
दो सेर सूखे अंजीर लेकर गरम पानी से दो या तीन बार धोकर उसके छोटे-छोटे टुकड़े कर लेना चाहिए, फिर बादाम सेर लेकर ऊपर का छिलका उतारकर उसके भी बारीक़ टुकड़े कर लेने के बाद एक कलईदार कड़ाही में अंजीर और बादाम की मगज के टुकड़े डालकर उसमे चार सेर शक्कर तथा
इलायची – 2.5 तोला,
केशर – 1 तोला,
चिरौंजी- 10 तोला,
पिस्ते – 10 तोला,
सफेद मूसली – 4 तोला,
अभ्रक भस्म – 1.5 तोला,
प्रवाल भस्म – 2.5 तोला,
मुगलाई बेदाना – 2 तोला,
शीतल चीनी – 1.5 तोला
इन सबको कूट कर थोड़ा घी डालकर आग पर चढ़ायें। जब घी अच्छी तरह से पिघल जाये और सभी चीजें मिल जाएँ तब उसे उतारकर बरनी में भर दें। इस औषधि को अपनी प्रकृति के अनुसार दोनों समय खाने से खून और त्वचा की गर्मी, पित्त विकार, रक्त विकार, कब्ज़, बवासीर, और अनेक प्रकार के वीर्य-दोष नष्ट हो जाते हैं। यह औषधि जीवन-शक्तिवर्धक और अत्यन्त पौष्टिक है।
9. यौन रोग (Venereal Diseases)-
भारतवर्ष और विश्व के कुछ अन्य इलाकों में अंजीर का यौन रोगों के उपचार के लिए भी सेवन किया जाता है, जिसके सकारात्मक प्रभाव देखे गए हैं। हालांकि अभी इससे ठीक होने वाले यौन रोगों व उनके लक्षणों पर शोध की आवश्यकता है।
10. हड्डियां मजबूत करता है (Strengthens Bones) –
अंजीर में कैल्शियम की अच्छी मात्रा होती है, जिसके कारण यह हड्डियाँ मजबूत करने के बेहतरीन अवयवों में से एक है।
छोटे बच्चों और Pregnant महिलाओं को अंजीर (Fig) विशेष रूप से खाने चाहिये। इससे उन्हें शक्ति प्राप्त होती है। ताजे अंजीर अधिक पौष्टिक होते हैं। ये कब्ज (Costiveness) को दूर करते हैं। ताजे अंजीर के रस में स्थित Iron सुपाच्य होने के कारण शरीर में पूरी तरह मिल जाता है। अंजीर ठन्डे, मधुर और गरिष्ठ होते हैं तथा रक्तविकार, पित्तविकार तथा वायु का नाश करते हैं। अंजीर को दूध के साथ लेने से कब्ज का नाश होता है। इससे मूत्र सम्बन्धी समस्या दूर हो जाती हैं। अंजीर यकृत, जठर और आँतों के लिए लाभकारी होता है। इससे थकान और कमजोरी दूर होती है। कफ और सूखी खांसी में यह विशेष लाभदायक है।
ध्यान में रखने योग्य बातें –
- अंजीर अधिक मात्रा में खाने से दस्त (Diarrhea) हो सकते हैं।
- सूखे अंजीर में Sugar की मात्रा बहुत अधिक होती है। इसलिए इन्हें अधिक खाने से दांतों को नुकसान पहुँच सकता है।