अंगूर (Grapes) सभी फलों में स्वादिष्ट एवं उत्तम Fruit है। पक जाने पर यह बहुत मीठा और गुणों से भरपूर हो जाता है। इसमें सर्वोत्तम प्रकार का Glucose और Fructose होता है, जिसके कारण रस पेट में पहुँचते ही शीघ्रता से सुपाच्य होकर Body में Energy तथा ताप प्रदान करके शक्ति को बढ़ाता है। इस पोस्ट में हम Nature के इस दिव्य फल के गुणों से आपको परिचित करवायेंगे –
अंगूर के गुण व लाभ / Properties and Health Benefits of Grapes in Hindi –
- अंगूर बल-वीर्य वर्धक, आँखों के लिए हितकारी और वात – पित्त की वृद्धि को दूर करता है।
- अंगूर खून बढ़ाता है तथा उसे साफ भी करता है।
- अंगूर में शर्करा 25 प्रतिशत होती है। Iron पर्याप्त मात्रा में होता है, जो खून में Hemoglobin बढ़ा देता है। खून की कमी वाले रोगियों के लिए यह वरदान स्वरूप है।
- अंगूर प्रबल कीटाणु नाशक होता है। इससे आंतें (Intestines), kidneys और liver अच्छी तरह काम करते हैं। इससे कब्ज़ दूर होता है, मूत्र मार्ग की बाधाएँ दूर होती हैं।
- अंगूर में पर्याप्त मात्रा में Vitamin ‘A’ और ‘C’ होता है। बच्चों, बूढ़ों, और दुर्बल लोगों के लिए यह बल देने वाला अनुपम आहार है।
- इसमें Potassium बहुत होता है, जो Kidney disease, high blood pressure तथा Skin disease में लाभकारी होता है।
- अंगूर रोगियों के लिए Best Diet है। Cancer, TB, Gastric lesions, बच्चों का सूखा रोग, appendicitis, जोड़ों का दर्द (Joint Pain), गठिया (Arthritis) तथा ह्रदय के रोगियों (Heart patients) के लिए यह शक्तिदायक Diet है।
- अंगूर के सेवन से शरीर में ताकत आती है। यह हर प्रकार की कमजोरी दूर करके शरीर को सुंदर और स्वस्थ बनाता है।
- अंगूर शरीर से विषैले पदार्थों (Toxins) को बाहर निकालता है क्योंकि इसमें क्षार (Alkali) बहुत अधिक होता है।
- यह सभी प्रकार के ज्वर में लाभकारी है। Typhoid बुखार हो या कोई वायरस से हुई बुखार, सभी में अंगूर शरीर में शक्ति देने के लिए Diet के रूप में दिया जाता है।
- कई लाइलाज बीमारियों में अंगूर का रस-कल्प अमृत के समान काम करता है। लम्बी बीमारी के बाद शरीर में आयी कमजोरी को दूर करने में यह रामबाण सिद्ध हुआ है। कई आँतों के Cancer रोगी अंगूर-कल्प से स्वस्थ हुए हैं।
- कच्चा अंगूर खट्टा होता है, उसे नहीं खाना चाहिये। जब भी अंगूर खायें, मीठे व पके अंगूर ही खायें। खाने से पहले अंगूर को पानी से अच्छी तरह से धो लें।
- पके हुए अंगूर सुखाने से किशमिश बनती है, जिसे संस्कृत में द्राक्षा कहा जाता है। इससे कई आयुर्वेदिक दवाएँ जैसे द्राक्षासव, द्राक्षावलेह इत्यादि बनते हैं।
- अंगूर का रस छोटे बच्चों को 50 सी. सी. से ज्यादा नहीं देना चाहिये – अधिक देने से दस्त आने लगते हैं। वयस्क 100 सी.सी से 200 सी.सी ले सकते हैं।