Devgarh/Deogarh Tour in Hindi : सीकर शहर से लगभग 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित देवगढ़ (Deogarh/Devgarh) की पहाड़ियों में एक पुराना दुर्ग तथा कुछ मन्दिर दर्शनीय हैं। यह दुर्ग लगभग 225 वर्ष पुराना है। वैसे तो देखरेख के अभाव में इस दुर्ग का वैभव नष्ट हो चुका है किन्तु इसके ध्वंसावशेषों को देखना रोमांचकारी अनुभव है।
सीकर मेरा गृहनगर है। मैं अपनी मोटरसाइकिल से देवगढ़ पहुंचा। दुर्ग की तलहटी में ही एक छोटा सा गाँव है। गाँव में दुर्ग की पहाड़ी के पास एक प्राचीन मंदिर है जिसके बाहर ऊँचे आँगन में गाँव के कुछ बड़े-बूढ़े मन बहलाने के लिए ताश खेल रहे थे। मैंने उन्हीं के पास अपनी बाइक रोकी और उनसे दुर्ग पर जाने का रास्ता पूछा। तो उनमें एक ने स्थानीय भाषा में जवाब दिया “ऊपर एकला न आवड़सी कोनी, ई ऊँ चोखो तो आर म्हारे साथ तास खेल ल्यो” (ऊपर अकेले का मन नहीं लगेगा, इससे तो अच्छा आके हमारे साथ ताश खेल लो ) मेरे चेहरे के भावों को जानकर दूसरे ने मुझे कहा कि मन्दिर के पीछे से ऊपर चले जाओ, यही रास्ता है।
अपनी बाइक मन्दिर के अहाते में लगाकर मैं पहाड़ पर चढ़ने लगा। पत्थरों पर पैर टिकाकर और हाथों से झाड़ियों को हटाकर मैं आगे बढ़ते रहा। कुछ चढ़ाई चढ़ने के बाद पत्थरों से बनी पगडंडी आई। समय की मार से इसके अधिकतर पत्थर निकलकर नीचे गिर चुके थे और बाकी बचे पत्थर जो अब चिकने हो चुके हैं, इन पर पैर संभाल पाने में थोड़ी मुश्किल होती है।
आधी चढ़ाई चढ़ने के बाद टूटे-रास्ते और उन पर उगी कांटेदार झाड़ियों ने मेरे निश्चय को डिगाने का भरसक प्रयास किया। बीच-बीच में सीधी ढलान आती है जहाँ से पत्थर निकल चुके हैं और केवल छोटे कंकर बचे हैं और उन पर बिछी लाल रेत जो उसे ज्यादा फिसलनभरा बनाती है। यहाँ मुझे कदम और मन दोनों को मजबूत करना पड़ा क्योंकि एक ज़रा सी चूक से, मैं वापस नीचे मन्दिर के अहाते में पहुँच सकता था। ऐसे खयाल से ही मेरा शरीर सिहर गया। खैर, मैनें चढ़ाई जारी रखी और लगभग एक घंटे में मैं दुर्ग की दीवार के सामने खड़ा था।
फरवरी माह की ठण्डक में भी मेरा माथा पसीने से तरबतर था। ऊपर पहुंचने के बाद दुर्ग के परकोटे में प्रवेश करने के लिए एक लोहे का छोटा द्वार है। अंदर एक विशाल कच्चा आँगन है जिसमें सब तरफ कांटेदार झाड़ियां हैं। दाहिनी तरफ एक ऊँचा चौक है जहाँ से दुर्ग के भीतर जाने का रास्ता है। सीढियाँ चढ़कर मैं चौक पर पहुंचा। दुर्ग का प्रवेशद्वार एक तिबारे के रूप में है। यह एक अंधेर तिबारा है जिसके अंदर जाने पर ही आगे का रास्ता दिखाई देता है।
आज आकाश गहरे बादलों से आच्छादित था और धूप भी नहीं निकली थी। ऐसे ठंडे मौसम में शायद सभी पक्षी अपने घोसलों में दुबक गए थे इसलिए उनकी चहचाहट भी नहीं आ रही थी। इस अंधेरे तिबारे के सामने मैं अकेला खड़ा सोच रहा था कि मुझे अंदर जाना चाहिए या नहीं।
कुछ समय बाद थोड़ी हिम्मत जुटाकर मैंने दुर्ग में प्रवेश किया। यह तिबारा पार करने के बाद कुछ चलने पर दुर्ग के मुख्य चौक का द्वार आता है। यह कलात्मक द्वार भी अब जर्जर हो चुका है। दुर्ग में सब जगह आँगन में जगह-जगह चैम्बर बने हैं। एक चैम्बर से नीचे झाँकने पर मुझे पता चला कि नीचे पानी की एक विशाल बावड़ी है। दुर्ग के पूरे हिस्से में यह बावड़ी है जिसके ऊपर चौक में (जो बावड़ी की छत है ) मैं खड़ा था। यहाँ कुछ कमरे बने हैं जो पूरी तरह खंडहर में तब्दील हो चुके हैं। ऊपरी चौक में सामने की तरफ एक तिबारानुमा विशाल कक्ष बना है जो बहुत ही कलात्मक है। इसका नीला रंग दर्शक को लुभाता है। इसके अंदर कई कक्ष बने हैं।
शाम हो चुकी थी। कुछ समय इस दुर्ग में घूमने और इसकी चौड़ी दीवार पर विश्राम करने के बाद मैंने सीकर की इस उपेक्षित धरोहर से विदा ली। टूटे चिकने पहाड़ी रास्ते में उतरना काफी मुश्किल होता है इसलिये मैं धीरे-धीरे पहाड़ी से नीचे उतरा। देवगढ़ के पास ही सीकर का प्रसिद्ध तीर्थ और पर्यटन स्थल हर्ष-पर्वत स्थित है। जहाँ ऊपर तक वाहन जाने के लिए रास्ता है। वैसे तो मैं कई बार हर्ष जा चुका हूँ पर आज इतने पास आने पर इस पर जाने का मोह नहीं छोड़ पाया।
यात्रा टिप्स
- सीकर से खुद का ही वाहन लेकर जाना होगा।
- देवगढ़ में एक फैमिली ट्रिप तो नहीं हो सकती लेकिन दोस्तों के साथ एक अच्छा Adventure जरूर हो सकता है।
- इस यात्रा में पानी की बोतल जरूर साथ रखें। चढ़ाई के वक्त पसीना निकलने से काफी प्यास लगती है।
Cool
आज देवगढ़ दुर्ग सीकर मेरे दोस्तों के साथ जाना हुआ
Kaisa anubhav raha ?
देवगढ़ मेरा गाँव मेरा घर है ,पहले तो यहाँ विदेशी पर्यटय भी आते थे लेकीन समय के साथ सब कुछ बदल गया ! सरकरों ने पर्यटन को बढावा दिया नहीं और वो खंडहर में तब्दील हो गये !
हाँ, सरकार ने देवगढ़ के साथ सीकर के अन्य स्थानों की भी उपेक्षा की। और अब वे सभी अंत की कगार पर हैं।
Sir please phone number
Satish ji apne number dijiye hm aa rhe h is baar devgadh ghumne ke liye
Its hertiage spot and adventure if u visit
देवगढ़ का नाम सुना था लेकिन जानकारी नहीं थी. आपके विस्तृत आलेख से सचित्र जानकारी प्राप्त हुई. यह काम तारीफ़ के काबिल है. काश, पर्यटन विभाग इस दिशा में रूचि दिखाता और इस स्थान एवम् दुर्ग को पर्यटन सर्किट में स्थान देता.
रजनीश जी, आपकी टिप्पणी के लिए बहुत आभार।
Nice and real.
Maine harsh ki pahad se isko dekha tha. Waha Jane ki bahut ichha h. Aapka Anubhav kaam ayega. Govt Ko historical places ki care karni chahiye. Thanks
This place seems to be very adventurous, I will definitely went to sikar .
Itni Sundar dhrohar ka indian archaeological department Ko kuch krna chaiye ….Vaise devgarh ka history kaise pta kre Google pe bhi iski history nahi h
Nice palace but our govt. Are not responsible
आपने अपनी देवगढ़ की यात्रा का बहुत सुंदर वर्णन किया है पडकर अच्छा लगा धन्यवाद
Bhaishab devgarh koi paryatan sthal nhi he…. Ye hamara he…. Matlab sikar darbaar ne mere pardadosa ko gift kiya tha kyuki wo waha unke ADC the…. Ab hum waha nhi jaate kyuki khandar ho chuka he wo…. Par me kuch time me waha kaam suru karwaunga or waha par renovation se sab rahne layak ho jayega…. Wese me bhi nhi gaya upar kyuki upar jaane ka rasta nhi he…. Waha sabse pahle road banai jayegi phir waha ka kaam suru hoga…. Aapne achi post likhi he devgarh pe… Dhanyawaad🙂
मैं अभी जल्दी में 14 march 2023 को अपने दोस्तों के साथ गया , ज्यादा कुछ पता नही था रास्ते के बारे में। पहाड़ी पर ऊपर चढ़ना बहुत मुश्किल था हिम्मत हार गई थी, लेकिन किसी तरह पहुचे । ऊपर कुछ समय आराम किये । हवा बहुत अच्छी चल रही थी। मेरी लाइफ की बहुत रिस्क वाली ट्रिप थी। सकुसल वापस आ गए ।
अभी ऊपर चढ़ना और उतरना बहुत खतरनाक है रास्ता और भी खराब हो गया है
धन्यबाद