वर्तमान में आधुनिकता की होड़ में हम Nature से दूर होते जा रहे हैं। और इसका परिणाम है तरह-तरह के रोग। पुराने समय में लोग अधिक जीवन जीते थे क्योंकि वे शुद्ध भोजन करते, दिनभर बहुत मेहनत करते और सादगी भरा जीवन जीते थे। लेकिन आजकल हम सभी इनसे दूर होते जा रहे हैं और अपने शरीर को बीमारियों का घर बनाते जा रहे हैं। आज हम आपको एक ऐसी अमृत दवा के बारे में बता रहे हैं जो सभी रोगों में कारगर है। इसका नाम है – ‘त्रिफला‘। यदि कोई व्यक्ति नियमित रूप से इसका सेवन करे तो वह लम्बा जीवन पाने के साथ-ही जीवनभर सभी रोगों से मुक्त रहेगा।
क्या है त्रिफला ? What is Triphala?
त्रिफला में तीन पदार्थ होते हैं – 1. आंवला, 2.बहेड़ा, और 3.पीली हरड़। इन तीनों को मिलाने से त्रिफला बनता है। ये तीनों बाजार में आसानी से मिल जाते हैं इसलिए त्रिफला को आसानी से घर पर ही बनाया जा सकता है या आयुर्वेदिक स्टोर से बना बनाया लिया जा सकता है।
- आँवला – आंवला की तासीर ठण्डी होती है। यह पित्त को manage करता है और Liver तथा हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली के कार्यों को support करता है।
- बिभीतकी या बहेड़ा – यह कफ के लिए अच्छा होता है।
- हरीतकी या हरड़ – इसकी तासीर गर्म होती है। यह त्रिदोष यानी वात, पित्त और कफ के लिए बहुत अच्छा रहता है। यह शरीर से विषाक्त पदार्थों (Toxins) को हटा देता है।
त्रिफला कैसे बनायें ? How to make Triphala at home ?
त्रिफला बनाने के लिए ऊपर बताये गए तीनों सामग्रियों को एक निश्चित अनुपात में मिलाया जाता है। इसमें पीली हरड़ के चूर्ण का एक भाग, बहेड़े के चूर्ण का दो भाग और आंवले के चूर्ण का तीन भाग होता है। इन तीनों फलों की गुठली निकालकर पीस लें और बताई गयी मात्रा में मिलाकर एक कांच की बोतल में भर लें और ढक कर रखें। और नियमित सेवन करें। ध्यान रहे – एक बार बनाया हुआ त्रिफला चार माह के भीतर ही इस्तेमाल कर लें, उसके बाद यह उतना उपयोगी नहीं रह जाता।
त्रिफला सेवन करने की विधि (How to use Triphala)-
त्रिफला चूर्ण बारह वर्ष तक नियमित रूप से सुबह-सवेरे खाली पेट ताजे पानी के साथ प्रतिदिन एक बार लेना चाहिए। और उसके बाद एक घंटे तक कुछ भी खाना-पीना नहीं चाहिये।
यदि त्रिफला को हर ऋतु में नीचे बताई गई वस्तुओं के साथ मिलाकर लिया जाए तो इसकी उपयोगिता और भी अधिक बढ़ जाती है –
- श्रावण और भाद्रपदअर्थात अगस्त और सितम्बर में त्रिफला को सेंधा नमक के साथ लेना चाहिये। जितना त्रिफला आप लेते हैं उसका छठा भाग सेंधा नमक लें।
- आश्विन और कार्तिक अर्थात अक्टूबर तथा नवम्बर में त्रिफला में शक्कर (त्रिफला का छठा भाग) मिलाकर लेना चाहिये।
- मार्गशीर्ष और पौष यानी दिसंबर तथा जनवरी में त्रिफला को सोंठ के चूर्ण (त्रिफला का छठा भाग) के साथ सेवन करना चाहिये ।
- माघ और फाल्गुन यानी फरवरी और मार्च में त्रिफला को लैण्डी पीपल के चूर्ण (त्रिफला का छठा भाग से कुछ कम ) के साथ लेना चाहिये।
- चैत्र और वैशाख यानीअप्रैल और मई में त्रिफला का सेवन शहद (त्रिफला का छठा भाग) मिलाकर करना चाहिये।
- ज्येष्ठ तथा आषाढ़ यानी जून और जुलाई में त्रिफला को गुड़ (त्रिफला का छठा भाग) के साथ लेना चाहिये।
त्रिफला सेवन के लाभ (Benefits of Triphala)-
त्रिफला शरीर की प्राकृतिक तरीके से आंतरिक सफाई में सहायक होता है। यह हमारे ऊतकों को पोषण देता है और उन्हें फिर से बनाता है। यह पाचन क्रिया में बहुत सहायक होता है। यह अपने आप में एक Natural antioxidant है।
जो व्यक्ति बारह वर्ष तक ऊपर बताई गई विधि से त्रिफला का सेवन करता है उसको बहुत लाभ मिलता है और एक प्रकार से उसका काया-कल्प हो जाता है।
- पहले वर्ष में – आलस्य सुस्ती, आदि दूर होती है।
- दूसरे वर्ष में – व्यक्ति सब प्रकार के रोगों से मुक्ति पा लेता है।
- तीसरे वर्ष में – नेत्र-ज्योति बढ़ने लगती है।
- चौथे वर्ष में – शरीर सुंदर होने लगता है।
- पांचवें वर्ष में – बुद्धि का विशेष रुप से विकास होने लगता है।
- छठे वर्ष में – शरीर बलशाली होने लगता है।
- सातवें वर्ष में – बाल काले होने लगते हैं।
- आठवें वर्ष में – शरीर की प्रौढ़ता फिर से युवावस्था में बदलने लगती है।
- नवें वर्ष में – नेत्र ज्योति विशेष शक्ति संपन्न हो जाती है।
- दसवें वर्ष में – व्यक्ति के कंठ में मां शारदा विराजमान हो जाती है।
- ग्यारहवें और बारहवें वर्ष में – व्यक्ति को वाक्-सिद्धि प्राप्त हो जाती है।
इस तरह 12 वर्षों तक नियमित रूप से ऊपर बताई गई विधि से त्रिफला का सेवन करने से व्यक्ति साधारण इंसान न रहकर एक परम साधक बन जाता है क्योंकि उसकी सभी चित्तवृत्तियाँ स्वस्थ और मनोवृत्तियां सात्विक हो जाती हैं।
त्रिफला के Side Effects –
त्रिफला शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालता है। शुरू में कुछ लोगों को गैस, पेट-दर्द या दस्त हो सकते हैं। ऐसा होने पर घबराने की आवश्यकता नहीं है। एक बार त्रिफला का उपयोग थोड़ा कम मात्रा में कर सकते हैं। अगर समस्या बढ़ती रहे तो इसे बंद कर सकते हैं और ठीक होने पर थोड़ी-थोड़ी मात्रा से ही शुरू करें।
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