Narnaul : हरियाणा में स्थित नारनौल शहर एक ऐतिहासिक नगर है। यहाँ के प्राचीन सूर्यनारायण मंदिर मे मिले एक शिलालेख मे इसे नंदीग्राम कहा गया है। भागवत पुराण मे भी नंदिग्राम् का उल्लेख है इसलिए इस नगर को द्वापरयुग का माना जाता है।
महाभारत काल में नारनौल को नरराष्ट्र के रूप मे जाना जाता था। यह भी प्रचलित है कि यह इलाका पहले नाहरों यानी शेरो का ठिकाना था इसलिए इसका नाम नाहर नौल रखा गया जो कालांतर मे नारनौल हो गया। 12वीं सदी के तीसरे दशक मे मुस्लिम संत हजरत तुर्कमान यहाँ आया और उसके साथ ही मुसलमानो का यहाँ प्रभाव बढ़ने लगा आखिर नारनौल मुस्लिम के आधिपत्य मे आ गया।
इस ऐतिहासिक नगर के दर्शनीय स्थानों को देखने के लिए यह वीडियो पूरा देखें –
Visiting Places in Narnaul Video :
नारनौल के दर्शनीय स्थान / Visiting Places in Narnaul
इब्राहिम सूर का मक़बरा / Ibrahim Sur ka Makbara (Tomb)
पंद्र्हवीं शताब्दि में नारनौल मुगलो के हाथो से निकल कर सूर अफगानो के नियंत्रण मे आ गया सबसे पहले शेरशाह सूरी के दादा इब्राहिम खान यहाँ आये उन्हे फिरोज़-ए-हिसार के शासक ने नारनौल और इसके आसपास का क्षेत्र दिया था इब्राहिम सूर का मकबरा आज भी नारनौल मे मौजूद है जो कि शेरशाह सूरी ने बनवाया था। इतहासकार वी.स्मिथ के अनुसार शेरशाह का जन्म भी नारनौल मे हुआ था
जलमहल / Jal Mahal, Narnaul
पानीपत कि दूसरी लड़ाई के बाद यह इलाका अकबर के नियंत्रण मे आया और उसने सम्राट हेमू को गिरफ्तार करने के इनाम के तौर पर इसे शाह कुल खान को दे दिया इस प्रकार शाह्कुली खान यहाँ का जागीरदार बना जिसने नारनौल मे जलमहल का निर्माण करवाया
बीरबल का छत्ता / Birbal ka Chhatta
अकबर के शासनकाल मे यहाँ राय बालमुकुन्द के छत्ते का निर्माण हुआ जिसे बीरबल का छत्ता के नाम से जाना जाता है।
चोर गुंबद / Chor Gumbad
यहां सुभाष पार्क जहां चोर गुंबद बना है काफी दर्शनीय है। नारनौल के बस स्टैंड के पास स्थित है मोड़ावाला शिव मंदिर। जहाँ इस मंदिर में शिव परिवार के अतिरिक्त अन्य देवी देवताओं की प्रतिमाएं भी स्थापित हैं। इस मंदिर का मुख्या आकर्षण है यहाँ स्थित भगवान् शिव और नंदी की विशाल प्रतिमा।
चामुण्डा देवी का मंदिर / Chamunda Devi Temple, Narnaul
नारनौल शहर के ह्रदय में स्थित है माँ चामुण्डा देवी का विशाल मंदिर। बारहवीं सदी के दूसरे दशक तक यहाँ राजपूत शाषकों का राज था। उस समय का यहाँ का ये चामुण्डा देवी का मंदिर दर्शनीय है, जहाँ प्रतिदिन श्रद्धालु माँ के चरणों में शीश झुकाने आते हैं।
मुस्लिम शासकों ने अपने शासनकाल में अस्सी स्तम्भों के इस मंदिर के कुछ भाग को तुड़वाकर इसके चारों तरफ दीवार बनवाकर उसके ऊपर जामा मस्जिद का निर्माण करवा दिया था। 1947 में एक दीवार के अचानक गिर जाने से इस मंदिर के अवशेष दिखाई दिए तो स्थानीय श्रद्धालुओं ने खुदाई करके इस मंदिर के अवशेषों को निकलवाया और का पुनर्निर्माण किया। अब यह एक भव्य मंदिर है तथा नारनौल का दर्शनीय स्थान है।
धोसी पर्वत / Dhosi Parvat
नारनौल नगर से लगभग सात किलोमीटर की दुरी पर स्थित है धोसी पर्वत जिसे वैदिक काल में आर्चिक पर्वत के नाम से जाना जाता था। यह इस क्षेत्र का प्रसिद्ध तीर्थ है जहाँ महर्षि च्यवन का आश्रम है। यहाँ के मुख्य मंदिर में राधा,कृष्ण, सुकन्या तथा महर्षि च्यवन की मूर्तियां स्थापित हैं। तथा इन्हीं के साथ अष्टधातु की शेषशय्या पर लेटे हुए भगवान् विष्णु की प्रतिमा भी विराजमान है। इसी आश्रम में अश्विनी कुमारों ने महर्षि च्यवन के लिए च्यवनप्राश का निर्माण किया था। मान्यता है कि सोमवती अमावस्या को यहाँ स्थित चंद्रकूप के पानी में बहुत से औषधीय गुण होते हैं। इस दिन श्रद्धालु इस चंद्रकूप के पानी से स्नान करके पुण्यलाभ तथा स्वास्थ्यलाभ लेते हैं।
धोसी पर्वत के हिस्से में स्थित है शिवकुण्ड जहाँ ब्रह्मचारी जी महाराज ने संस्कृत पाठशाला की स्थापना की थी। यह संस्कृत शिक्षा का इस क्षेत्र का सबसे बड़ा संस्थान था जिसमें इस क्षेत्र के प्रसिद्ध संत रमेश्वरदासजी ने भी शिक्षा ग्रहण की थी। ऐसा माना जाता है कि वर्तमान स्थान पर बसने से पहले नारनौल नगर धोसी पर्वत की गोद में ही बसा हुआ था।
खालड़ा वाले हनुमानजी / Khalda vale Hanumanji
नारनौल शहर से लगभग आठ किलोमीटर दूर रघुनाथपुरा गाँव के पास स्थित है खालड़ा वाले हनुमानजी का प्रसिद्ध मंदिर यह मंदिर हरियाणा शूटिंग रेंज के पास एक पहाड़ी पर अवस्थित है। जहाँ दूर दूर से भक्त हनुमानजी के दर्शन कर कृपा पाने आते हैं। मंदिर के प्रांगण में ही एक हंस तालाब है जिसमें मन को लुभाते बहुत से हंस, कुछ खरगोश तथा एमु पक्षी हैं जो इस पावन स्थान को रमणीय बनाते हैं।