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भगवान् श्री गणेश के मन्दिर यों तो भारत में हजारों की संख्या में विद्यमान हैं, लेकिन उनमें से कुछ मन्दिर इतने अधिक प्रसिद्ध व प्राचीन हैं कि वहां देश के कोने-कोने से श्रद्धालु दर्शनों के लिए पहुँचते हैं। आज हम आपको भारत के ऐसे ही 10 प्रसिद्ध गणेश मंदिरों के बारे में बता रहे हैं –
1. रणथम्भौर गणेश मन्दिर –
कहा जाता है कि रणथम्भौर के इस प्रसिद्ध भगवान गणेश के मन्दिर में विराजमान 3 आंखों वाली गणेश की प्रतिमा स्वयंभू अर्थात स्वयं ही उत्पन्न हुई है, जो लगभग 6500 वर्ष पुरानी है तथा यह मन्दिर लगभग 1000 वर्ष पुराना है। दूर-दूर से लोग यहाँ बप्पा के अद्भुत रूप का दर्शन करने यहाँ आते हैं। यह मन्दिर किले पर स्थापित होने से मार्ग थोड़ा कठिन है, साथ ही मार्ग में असंख्य वानरों की उपस्थिति इसे और कठिन बना देती है। अतः मन्दिर में जाते समय अपने साथ खाने की सामग्री ना ले जाएँ। यदि आपके पास खाद्य सामग्री नहीं होगी तो वानर आपको परेशान नहीं करेंगे। कहा जाता है कि मन्दिर के मार्ग में कंकड़ों से घर की आकृति बनाने से भक्तों की इच्छा पूरी होती है।
2. सिद्धिविनायक मन्दिर, मुंबई –
भगवान गणेश का सिद्धिविनायक रूप सबसे लोकप्रिय है। गणेशजी की जिन प्रतिमाओं में उनकी सूंड दाहिनी तरफ मुड़ी हुई होती है, उन्हें सिद्धपीठ से जुड़ा होना माना जाता है। ये प्रतिमाएँ जिन मंदिरों में स्थापित होती हैं वे मन्दिर सिद्धिविनायक मन्दिर कहलाते हैं। इन सिद्धिविनायक मंदिरों में सबसे प्रसिद्ध है ‘मुम्बई का सिद्धिविनायक मन्दिर’। मान्यता है कि सिद्धिविनायक भक्तों पर बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं, साथ ही कुपित भी जल्दी ही हो जाते हैं। मुम्बई का ये सिद्धिविनायक मन्दिर ना केवल भारत में, अपितु विदेशों में भी बहुत प्रसिद्ध है।
3. मोती डूंगरी गणेश मंदिर, जयपुर –
जयपुर स्थित मोती डूंगरी गणेश मंदिर राजस्थान के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। यह मंदिर भगवान गणेश को समर्पित है। लोगों की इसमें विशेष आस्था तथा विश्वास है। गणेश चतुर्थी के अवसर पर यहाँ काफ़ी भीड़ रहती है और दूर-दूर से लोग दर्शनों के लिए आते हैं। इतिहासकार बताते हैं कि यहां स्थापित गणेश प्रतिमा जयपुर नरेश माधोसिंह प्रथम की पटरानी के पीहर मावली से 1761 में लाई गई थी। मावली में यह प्रतिमा गुजरात से लाई गई थी। उस समय यह पांच सौ वर्ष पुरानी थी। जयपुर के नगर सेठ पल्लीवाल यह मूर्ति लेकर आए थे और उन्हीं की देखरेख में मोती डूंगरी की तलहटी में गणेशजी का मंदिर बनवाया गया था।
4. मधुर महा गणपति मंदिर, केरल –
केरल में स्थित मधुर महा गणपति मंदिर से जुड़ी सबसे रोचक बात ये है कि पहले यह भगवान शिव का मंदिर हुआ करता था, लेकिन पुरानी कथा के अनुसार यहाँ के पुजारी के बेटे ने इस मन्दिर में भगवान गणेश की प्रतिमा का निर्माण किया। पुजारी का ये बेटा छोटा सा बच्चा था। खेलते-खेलते मंदिर के गर्भगृह की दीवार पर बनाई हुई उसकी प्रतिमा का आकार धीरे-धीरे बढ़ने लगा। उस समय से ये मंदिर भगवान गणेश के मन्दिर के रूप में प्रसिद्ध हो गया।
5. उच्ची पिल्लैयार मंदिर, रॉकफोर्ट –
दक्षिण भारत में तमिलनाडु राज्य के त्रिची शहर के मध्य पहाड़ के शिखर पर स्थित उच्ची पिल्लैयार मन्दिर प्रसिद्ध पहाड़ी किला मंदिर है। चैल राजाओं ने चट्टानों को काटकर इस मंदिर का निर्माण करवाया था। यहां भगवान श्री गणेश का मंदिर है। पहाड़ के शिखर पर विराजमान होने के कारण गणेश जी को उच्ची पिल्लैयार कहते हैं।
6. मंडई गणपति, पुणे –
पुणे स्थित मंडई के गणेश मंडल को उनके श्रद्धालु अखिल मंडई गणपति के नाम से भी जानते हैं। पुणे में इस गणेश मंडल का बहुत महत्व व मान्यता है। गणपति महोत्सव के दौरान यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। यहाँ दूर-दूर से श्रद्धालु गणपतिजी के दर्शनार्थ आते हैं।
7. श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई मंदिर, पुणे –
पुणे स्थित श्रीमंत दगड़ूशेठ हलवाई गणपति मंदिर के प्रति श्रद्धालुओं की असीम आस्था है। इसका अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि कोई इन्हें फूलों से सजाता है, तो कोई फलों से, कोई इन्हे सोने के आभूषणों से, तो कोई इन्हे मिठाई से सजाता है, तो कोई नोटों से पूरे मंदिर की सजावट करता है। भगवान गणेश के इस मंदिर में भक्त की भगवान के प्रति इस तरह की कई अनोखी आस्थाओं का उदाहरण देखने को मिलता है।
8. कनिपक्कम विनायक मंदिर, चित्तूर –
आंध्रप्रदेश के चित्तूर जिले में आस्था और चमत्कार की ढेरों कहानियां खुद में समेटे कनिपक्कम विनायक का मंदिर स्थित है। इस मंदिर की स्थापना 11वीं सदी में चोल राजा कुलोतुंग चोल प्रथम ने की थी। बाद में इसका विस्तार 1336 में विजयनगर साम्राज्य में किया गया। जितना प्राचीन ये मंदिर है उतनी ही दिलचस्प इसके निर्माण के पीछे की कहानी भी है। कहते हैं यहां हर दिन गणपति का आकार बढ़ता ही जा रहा है।
9. मनाकुला विनायगर मंदिर, पांडिचेरी –
भगवान् श्री गणेश का मनाकुला विनायगर मंदिर पांडिचेरी में स्थित है। भक्तों के बीच ये मंदिर आकर्षण का विशेष केंद्र है। प्राचीन काल का होने के कारण इस मंदिर की बड़ी मान्यता है। कहते हैं कि यह मन्दिर इस क्षेत्र पर फ्रांस के कब्ज़ा करने से भी प्राचीन है। दूर-दूर से भक्त यहां भगवान श्रीगणेश के दर्शन करने आते हैं।
10. गणेश टोक, गंगटोक, सिक्किम –
गणेश टोक मंदिर सिक्किम में गंगटोक-नाथुला रोड से करीब 7 किलोमीटर की दूरी पर स्िथत है। यह मंदिर लगभग 6,500 फीट की ऊंची पहाड़ी पर स्िथत है। इस मंदिर के बाहर खड़े होकर आप पूरे शहर का नजारा एक साथ ले सकते हैं।
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